समाजवाद एवं साम्यवाद NCERT CLASS 10th

 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. पूंजीवाद क्या है?

उत्तर :- पूंजीवाद सामान्यता उस आर्थिक प्रणाली व्यवस्था को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी रूप से किसी खास आदमी का अधिकार होता है तथा जिसमें पूंजी के व्यक्तिगत रूप से वितरण व्यवस्था पर अधिकार होता है।

2. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं?

उत्तर:- सर्वहारा वर्ग समाज का वैसा वर्ग या लोग शामिल होते हैं जिसमें गरीब लोग, मजदूर, गरीब किसान तथा अन्य निम्न तथा मध्य वर्ग के लोग होते हैं जिसे सर्वहारा वर्ग कहा जाता है।

3. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?

उत्तर:- क्रांति से पूर्व से किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी रूस में लोगों की जनसंख्या का भाग कृषक ही था 1861 ईo में जार अलेक्जेंडर द्वितीय के द्वारा कृषि दास्ता समाप्त करने के बावजूद भी किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ उसके खेत बहुत छोटे छोटे थे जिन पर परंपरागत ढंग से खेती करते थे किसान पूंजी के अभाव के कारण बोझ के कर्ज से दबे हुए थे ऐसे में किसानों के पास क्रांति करने के सिवाय कोई उपाय नहीं था

4. खूनी रविवार क्या है?

उत्तर:- 22 जनवरी 1905 को रूस की जार सेना ने शांतिपूर्ण मजदूरों तथा उसके बीबी- बचचों के जुलूस पर गोलियां बरसाई, जिसके कारण हजारों की जान गई और उस दिन रविवार था इस लिए खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है। (और इसको ही लाल रविवार के नाम से भी जाना जाता है)

5. अक्टूबर क्रांति क्या है?

उत्तर:- अक्टूबर की क्रांति 7 नवंबर 1917 ईo को हुई थी और उसी दिन पुरानी रूसी कैलेंडर के अनुसार 25 अक्टूबर था जिसके कारण उसे अक्टूबर क्रांति कहते है।


लघु उत्तरीय प्रश्न

1. रूसी क्रांति के किंही दो कारणों का वर्णन करे?

उत्तर:- रूसी क्रांति के दो महत्वपूर्ण कारण थे जो कि निम्नलिखित है

(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन जार निकोलस द्वितीय रूसी क्रांति के समय शासन कर रहा था जो कि दैवी अधिकार पर विश्वास रखता था तथा उसे आम लोगों की कतई चिंता ना रहते थे तथा जार के द्वारा किसानों से अधिक मात्रा में कर वसूला जाता था

(ii) किसानों की दयनीय स्थिति रूस में जनसंख्या का बहुसंख्यक भाग कृषि पर ही निर्भर करता था किसानों के खेत भी छोटे-छोटे टुकड़ों में बटे हुए थे जिन पर वे परंपरागत ढंग से खेती करते थे जिसके कारण किसानों के पास पूंजी के अभाव होने के कारण कर के बोझ से दबे हुए थे ऐसे में उनकी हालत दिन पर दिन खराब होते जा रही थी जिसके कारण क्रांति करने के सिवाय उसके पास और कोई कारण नहीं था।

2. रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहां तक उत्तरदाई थी

उत्तर:- सेवियर दोस्त विभिन्न राष्ट्रीयता ओं का देश था यहां मुख्य तलाव जाति के लोग रहते थे इसके अतिरिक्त फिन, पोल, जर्मन और यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग भी थे यह भिन्न-भिन्न भाषा बोलते थे परंतु रूस के अल्पसंख्यक समूह जार निकोलस द्वितीय द्वारा की गई वशीकरण की नीति से परेशान था जानने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और सांस्कृतिक लादने का प्रयास किया इससे अल्पसंख्यकों में हलचल मच गई 1863 ईस्वी मैं इस नीति के विरुद्ध पोलो ने विद्रोह किया। इसी प्रकार राजतंत्र के प्रति उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा था

3. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी कैसे?

उत्तर:- साम्यवाद का उदय रूसी क्रांति के बाद हुआ रूसी क्रांति 1917 से पूर्व पूंजीवाद व्यवस्था लागू था जिसमें गरीब मजदूर, किसानों को पूंजीपतियों द्वारा शासन किया जाता था लेकिन साम्यवाद एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें उत्पादन तथा लाभ की सभी साधन सरकार का अधिकार हो तथा इस व्यवस्था में उत्पादन के निजी लाभ न होकर सारे समाज के लिए होता है इसलिए साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी।

4. नई आर्थिक नीति (NEP) मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था कैसे?

उत्तर:- नई आर्थिक नीति का नेतृत्व लेनिन के द्वारा रूस में चलाया गया। यह नीति 1921 ईस्वी में चलाई जिसमें मार्क्सवादी मूल्यों से या नियमों से एक समझौता था लेनिन के इस समझौते के अनुसार जिस कारखाने में 20 से कम मजदूर काम करते थे उसे व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार दिया तथा किसानों से अनाज लेने के स्थान पर एक निश्चित कर राशि लगाई तथा बचा हुआ अनाज किसान मनचाहे इस्तेमाल कर सकते थे इससे भी किसानों को काफी लाभ हुआ इत्यादि नीतियां से भी मार्क्सवादी सिद्धांतों से समझौता था

5. प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया कैसे?

उत्तर:- रूस की क्रांति का तत्कालीन कारक प्रथम विश्व युद्ध था जिसमें यूरोप महादेश के कई देशों के बहुत से सैनिक मारे गए जिसमें रूस भी शामिल था जब रूस प्रथम विश्वयुद्ध हार गया तब वहां की जनता में जार निकोलस द्वितीय के प्रति आक्रोश पैदा हुआ अपने राष्ट्र की पराजय को रूसी लोगों ने जार निकोलस द्वितीय जैसे निकम्मे एवं निरंकुश के हाथों में शासन का डोर सौंपना नहीं चाहता था इसलिए रूस के जनता ने जार निकोलस द्वितीय के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया इसलिए प्रथम विश्व युद्ध के रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें।

उत्तर:- रूस की क्रांति के कारण थे 1917 ईस्वी में बोल्शेविको द्वारा क्रांति किया गया जिसे बोल्शेविक क्रांति कहते हैं जो निम्नलिखित है

(i) जार के निरंकुशता एवं अयोग्य शासन

(ii) कृषको की दयनीय स्थिति

(iii) मजदूरों की दयनीय स्थिति

(iv) औद्योगिकीकरण की समस्या

(v) रूसीकारण के नीति

(vi) विदेशी घटनाओं का प्रभाव के कारण खूनी रविवार विद्रोह होना

(vii) रूस में मार्क्सवाद का प्रभाव एवं बुद्धिजीवियों का योगदान

(viii) तत्कालिक कारण प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय।

2. नई आर्थिक नीति (NEP) क्या है?

उत्तर:- नई आर्थिक नीति यह एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें किसान मजदूर द्वारा किए जाने वाले क्रांति को देखते हुए लेनिन ने राष्ट्र के हित के लिए अपने नीति संशोधन करते हुए राष्ट्र को बढ़ावा देने का प्रयास किया जो मार्क्सवादी नियमों से मिलता जुलता था इस नीति में निम्नलिखित प्रमुख बातें थी

(i) किसानों से अनाज एक निश्चित राशि पर लिया जाता था तथा बचा हुआ अनाज किसान मनचाहे इस्तेमाल कर सकता था

(ii) यह कहा गया कि जमीन राज्य की है फिर भी व्यवहार में जमीन किसान की होगी

(iii) 20 से कम कर्मचारी वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रुप से चलाने का अधिकार मिला

(iv) विभिन्न स्तरों पर बैंक खुले गए

3. रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करे?

उत्तर:- रूसी क्रांति के प्रभाव निम्नलिखित है

(i) इस क्रांति के पश्चात श्रमिक तथा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई तथा अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहित किया गया

(ii) रूसी क्रांति के बाद विश्व विचार धारा के स्तर पर दो भागों में बट गया (a) साम्यवादी विश्व (b) पूंजीवादी विश्व 

(iii) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूंजीवाद विश्व तथा सेवियत रूस के बीच शीत युद्ध की शुरुआत हुई

(iv) रूसी क्रांति के बाद आर्थिक आयोजन के रूप में एक नवीन आर्थिक मॉडल आया जिसे पूंजीवादी देशों ने भी अपना लिया

(v) इस क्रांति के सफलता में एशिया और अफ्रीका में गुलाम देशों को मुक्त करने का प्रोत्साहन दिया

4. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करे?

उत्तर:- कार्ल मार्क्स का जन्म 05 मई 1818 ईस्वी को जर्मनी के राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था कार्ल मार्क्स के पिता हेनरी मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे जिन्होंने बाद में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया मार्क्स ने बोन विश्वविद्यालय में विविध की शिक्षा की ग्रहण की है परंतु 1836 ईo में वे बर्लिन विश्वविद्यालय चले आए मार्क्स हेगेल के विचारों से प्रभावित था इनका विवाह बचपन के मित्र जेनी से विवाह हुआ मार्क्स ने 1867 ईस्वी में दास कैपिटल नामक पुस्तक की रचना की है जिसे समाजवादियों का बाइबिल कहा जाता है।

कार्ल मार्क्स के सिद्धांत निम्नलिखित थे 

(i) द्वंदात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत

(ii) वर्ग संघर्ष का सिद्धांत

(iii) इतिहास की भौतिकवादी व्यवस्था

(iv) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत

(v) राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना

5. यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।

उत्तर:- यूटोपियन समाजवादियों का उदय मार्क्सवादी विचारोको के द्वारा किया गया यूटोपियन समाजवादी की दृष्टि आदर्शवादी थी तथा उनके काम करने का तरीका अव्यवहारिक था अधिकतर यूटोपियन विचारक फ्रांसीसी थे जो क्रांति के बदले शांतिपूर्ण परिवर्तन में विश्वास रखते थे अर्थात वह संघर्ष करने के बदले संघर्ष न करना तथा राष्ट्र की एकता चाहते थे कुछ यूटोपियन समाजवादी का यह कहना था कि लोगों को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार काम देना चाहिए इत्यादि इसी तरह से अन्य यूटोपियन समाजवादी का विचार अलग-अलग था।




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